ये टाइट कपडे कभी हमारे पूर्वज नहीं पहने थे, वो हमेसा खुले वस्त्र पहनने थे जैसे कुर्ता पजामा, धोती कुर्ता आदि. उनकी लाइफ भी लम्बी होती थी और उनका स्वास्थ्य भी हमसे ज्यादा ठीक रहता था. ये जीन्स और अन्य कपडे जो आजकल हम पहन रहे है ये विदेशी है, ये विदेशो से आए है. हलाकि इनका उत्पादन अब हमारे यहाँ होता है लेकिन ये वेशभूषा भारत की नहीं है. अब जीन्स के बारे में आपको बता दू कि अगर आप लगातार जीन्स पहन रहे है तो आपको नपुंसकता आ सकती है. आज मॉडर्न मेडिकल साइंस जिसको एलॉपथी चिकित्सा भी कहते है उन्होंने भी इसे माना है कि जीन्स पहनने से नपुंसकता आती है.
धोती एक पारंपरिक वेशभूषा का वस्त्र हैं! प्राचीन काल से धोती का प्रयोग किया जाता रहा है!
धोती पाठ पूजा के लिए उत्तम वस्त्र माना जाता है, यह सात्विक वस्त्र हैं!
भारतीय आज भी धोती को चाव से पहनते हैं! उत्तरी भारतीय इसको लांग से बांधते हैं, वहीं दक्षिणी भारतीय लूँगी के रूप में बांधते हैं! युवा पुरुष (इन्ही के जन्म दिवस को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है), स्वामी विवेकानंद हमेशा धोती ही पहनते थे! वहीं हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने धोती कुर्ते में कई विदेशी यात्रा भी की!
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब दूसरे गोलमेज सम्मेलन में धोती पहन कर गए तो उन्हे अर्ध नग्न फकीर की उपमा दी गई!
- आरामदायक - धोती आरामदायक वस्त्र है, जिसमें उठने, बैठने और सोने में कोई दिक्कत नहीं होती हैं! बार-बार कपड़े बदलने के झंझट से भी मुक्ति प्रदान करती है!
- आध्यात्मिक विचारधारा - कपड़े तन ढकने के अलावा आपके विचारधारा भी बनाते हैं! पूजा के कपड़े आपके दिल में आध्यात्मिक विचार पैदा करती हैं, क्योंकि यह शुद्ध सात्विक वस्त्र हैं!
- नपुंसकता का न आना - धोती पहनने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है जिससे नपुंसकता नही आती, वहीं पश्चिमी वेशभूषा को नपुंसकता के लिए दोषी ठहराया जाता है, जो सही भी है!
- बहुपयोगी - धोती को पहना भी जा सकता है, लपेटा भी जा सकता है! तौलिए की जगह उपयोग भी किया जा सकता है वहीं सामान भी लाया जा सकता है! धोती ही एकमात्र वस्त्र है, जिसमें फिटिंग की कोई दिक्कत नहीं है!
- कम खर्च - धोती का कपड़ा खरीद कर हाथों हाथ पहना जा सकता है, दर्जी से सिलाई कराने की कोई दिक्कत नहीं, जिससे आप सिलाई, रफू खर्च बचा सकते हैं!
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