VAKOLA POLICE ARRESTED REPORTER FOR COMPLAINT AGAINST MATKA AND HAWKERS AT SANTACRUZ EAST
Mumbai: 15 jan 22,वकोला police ने एक लोकल पत्रकार को ट्विटर पर मटके और hawkers के खिलाफ कई ट्वीट किए करने पर उठा लिया ।
मामला यह है की पत्रकार कई महीनो से ट्विटर पर शिकायत कर रहा था। Vakola के सब इंस्पेक्टर ने पत्रकार को शिकायत करने पर धमकाया और न मानने पर सड़क से उठा लिया। पत्रकार जब सड़क से गुजर रहा था तो एक पुलिस वाला पोटे नाम का सादी वर्दी में उसके पास आया और पहचान पूंछा। कन्फर्म करने के बाद जबरदस्ती उसको थाने ले गया। उसके मोबाइल फोन और कई समान छीन लिए। बाद में एक हॉकर को बुलाया और फिर FIR कर दी। आरोप यह लगाया कि कई बार यह बिना पैसे दिए खाने का सामान ले गया और पैसे मांगता है। IPC 384 में मामला दर्ज कर लिया। ना पैसे मांगने का प्रूफ ना paise मिले फिर भी FIR कर दी।
उसको गिरफ्तारी का नोटिस एफआईआर के बाद दिया । पत्रकार ने सब डॉक्यूमेंट पर date और time डाल दिया था। मजिस्ट्रेट ने नोटिस नही दिया इस आधार पर 2 दिन बाद छोड़ दिया।
*⭐️SC: Ss.383 and 384 of IPC - Extortion - Ingredients of - On facts, not made out - FIR quashed.*_
_Complainants alleging that petitioner-accused (Ugandan nationals) showed copies of international warrants issued against them and threatened to extort 20 million dollars (equivalent to Rs. 110 Crores), saying that upon failure to pay said sum, complainants would face dire consequences - However, in complaint, no mention that pursuant to such demands, any amount was delivered to accused by complainants - Held, unless property is delivered to the accused pursuant to the threat, no offence of extortion is made out and FIR for offence under Section 384 cannot be registered. Hence, FIR, inter alia, under S. 384, quashed (Paras 3 and 7)._
_Case:_
_*Isaac Isanga Musumba Vs. State of Maharashtra.*_
_Citation:_
_*(2014) 15 SCC 357 : (2013) 3 KLT 102.*_
_Decided on:_
_*19/06/2013*_
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार extortion में धमकी और पैसा मिलना जरूरी है नही तो case नही बनता। पुलिस अब perjury with IPC 218,166a और contempt (misleading statements in court) में फंस सकती है। शिकायतकर्ता ipc 181और 120b आदि में कोर्ट के चक्कर लगा सकता है। किसी को फ़साना आसान है पर backfire झेलने की हिम्मत होनी चाहिए। अगर आरोपी human rights court session judge के पास पहुंच गया तो मामला kidnapping robbery का भी बन सकता है। पुलिस एफआईआर होने के बाद आरोपी को नोटिस दे सकती थी पर खुद IN THE COLOUR OF DRESS CRIME कर बैठी। हाई कोर्ट से illegal detention पर 5lac तक का हर्जाना मिल सकता है। मटके की घूस में बहुत ताकत होती है की वर्दी वाले खुद अपराधी बन बैठे।
Where will common man on the street go. He is restrained .
ReplyDeletePress is the 4 pillar of democrasy
Now its curtailed too
बिल्कुल सही
ReplyDeleteएक्टिविस्टों के खिलाफ
सबसे आसान हथियार
'EXTROSION'